वक्त बदल रहा है कुछ बातों को भूल जा। वक्त बदल रहा है कुछ बातों को भूल जा।
उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी देना चाहता हूँ ,जो ... उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी...
किरण पड़ी सरोवर पर,वो भी गया चमक पत्ता-पत्ता, बूटी-बूटी खेले ,खेल संग-संग किरण पड़ी सरोवर पर,वो भी गया चमक पत्ता-पत्ता, बूटी-बूटी खेले ,खेल संग-संग
शोषण रोक-रक्षण की करें सार्थक तैयारी। शोषण रोक-रक्षण की करें सार्थक तैयारी।
लड़खड़ाता रहा, थकता रहा पर ना रोया वो ना वो घबराया एक नई उम्मीद लेकर फिर मंज़िल की तलाश में भटकता ... लड़खड़ाता रहा, थकता रहा पर ना रोया वो ना वो घबराया एक नई उम्मीद लेकर फिर मंज़ि...
गुमनाम ख़यालों की नज़्में बना मैं गुनगुना रहा हूँ , बड़ी अरसों के बाद खुद से गुफ़्तग गुमनाम ख़यालों की नज़्में बना मैं गुनगुना रहा हूँ , बड़ी अरसों के बाद खुद ...