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हिस्सा संभल बढ़ उबल रहा अब रक्त देश का निकला ताप अंगारों से हिम्मत कर आगे बढ़ पोषण संरक्षण अस्तित्व पर भारी संकेतों से आभास सामूहिक तैयारी प्रकृति हमको चेताती विषैली वायु-नीर-धरा भूल है हमारी चलता रहा। गुनगुना रहा हूं

Hindi बढ़ रहा ताप Poems